Thursday 17 November 2011

मीडिया की नज़रों में


राष्ट्री धरोहर से जुड़ी खबर -प्रभात खबर में

३ जुलाई को कॉलेज की स्थापना दिवस के अवसर प्रभात खबर द्वारा कॉलेज के सम्बन्ध में और मेरे प्रयास से सम्बंधित खबर...





बहुत ही ख़ुशी मिली जब प्रभात खबर के रिपोर्ट का इतना असर हुआ की कॉलेज को 
अभी तक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात करने वाला कॉलेज-प्रशासन, समाज के प्रतिष्ठित लोग और आम मुजफ्फरपुरवाशी  भी कॉलेज को राष्ट्रिय धरोहर के रूप में देखने की इच्छा जताने लगे,
४ जुलाई,२०११ को छपी खबर (प्रभात खबर इम्पैक्ट)

४ जुलाई को ही अन्य अख़बारों में छपी खबर
(दैनिक हिंदुस्तान)
दैनिक जागरण

स्थापना दिवस पर दैनिक जागरण की खबर (३ जुलाई,२०११)



College eyes monument tag


KHWAJA JAMAL

|| Friday , July 22 , 2011 |



Muzaffarpur, July 21: The Archaeological Survey of India (ASI) is contemplating to declare Langat Singh College, a premier institute of north Bihar and a constituent unit of Bhim Rao Ambedkar Bihar University, Muzaffarpur, a historical monument.

The Prime Minister’s Office (PMO) has written to the ASI, New Delhi, to explore the possibilities to give Langat Singh College a historical monument tag. The PMO has taken initiatives following a petition submitted by a group of students from Muzaffarpur who pursued higher education at New Delhi.

A group of former Langat Singh College students formed Students Initiative for Heritage College (SIHC) in Delhi to pursue the goal. Co-ordinator of SIHC Abhishek Kumar said the PMO has responded the demand of the SIHC and informed that the issue has been forwarded to the ASI, New Delhi, for the next step.

Langat Singh College was established in July 3, 1899 and has been named after landlord Langat Singh of Muzaffarpur, who donated 20 acre for the institution. The SIHC forwarded the petition to the PMO pleading that the college enjoys special privilege since Rajendra Prasad, J.B. Kripalani, H.R. Malkani and poet Ramdhari Singh Dinkar, taught students at the college.

Moreover, Mahatma Gandhi stayed at the college for a couple of days before embarking on the Champaran Satyagraha on April 11, 1917. The college also has special attraction as far as archaeology and artefacts of the building are concerned. The building is constructed on the pattern of Balliol College of Oxford and it was formally inaugurated by then Governor Sir Henry Wheeler.
The Langat Singh College is more than 100 years old. The college could boast of the first planetarium of the country but at present it is lying defunct.

The ASI had earlier written a letter demanding necessary papers regarding the proof of the establishment of the college. The college authorities had provided ASI the documents.
A team of ASI experts is scheduled to pay a visit to the college in August for an on-the-spot inspection in the wake of the PMO’s eagerness.





डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जुडी शिशिर कुमार (दैनिक जागरण ) की रिपोर्ट  :=




Published on October 10, 2012
आइ स सौ वर्ष पूर्व काशी आ कलकत्ता क मध्य गंगा क उत्तरी तट पर कोनो कॉलेज नहि छल। हाई स्कूल क संख्या नगण्य छल। तखन ओहि शिक्षा क घोर अन्धकारच्छन्न युग मे उच्‍च शिक्षा लेल मुजफ्फरपुर मे कॉलेज क स्थापना कए बाबू लंगट सिंह पूर्ण दृढ विश्‍वास क संग चरितार्थ केलथि। लंगट सिंह कॉलेज क स्थापत्य लन्दन क ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी क एकटा कॉलेज क नकल अछि। एकर नकल ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ क अधीन हिन्दू कॉलेज सेहो केलक। कहबा लेल घोटालेबाज क घर मे स्‍कूल खोलनिहार राज्‍य सरकार एकरा विशेष कॉलेज क दर्जा देने अछि जखन कि बिहार कए दूटा केंद्रीय विश्‍वविद्यालय द उपकार करनिहार केंद्र सरकार लेल इ एतिहासिक स्मारक अछि, मुदा सच इ अछि जे कहियो भारतीय उच्‍च शिक्षाक बुलंदी पर रहल इ कॉलेज आइ अपन अस्तित्‍व लेल संघर्षरत अछि। एकर उपेक्षा क हद इ अछि जे यूजीसी सन संस्‍था कए एकर स्थापना वर्ष पता नहि अछि। ओकर वेबसाईट पर कॉलेज क स्थापना वर्ष खाली अछि जखन कि नाम सेहो संक्षिप्‍त मे लिखल गेल अछि, मानू लंगट सिंह कए नाम लेबा मे लाज होइत होइन। प्राचीन आ एतिहासिक शिक्षा महल लंगट सिंह कॉलेजक इतिहास आ उपेक्षा पर प्रस्‍तुत अछि पत्रकार नीलू कुमारी आ सुनील कुमार झा की विशेष रपट। -समदिया
 

कहल जाइत अछि मुश्किल किछु नहि अगर ठानि ली। ठीक एहन किछु शपथ मांगी रहल अछि बिहार क एतिहासिक आ प्राचीन महाविद्यालय मे स एक लंगट सिंह कॉलेज। कहला लेल इ राज्‍य सरकारक विशेष कॉलेजक दर्जा रखने अछि आ हालहि मे भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग एकरा स्मारक घोषित केलक अछि। मुदा हकीकत इ अछि जे एकर सुंदर सन भवन खंडहर भ चुकल अछि। भवन पर छह स आठ फुट पैघ गाछ उ‍गल अछि आ जानकारक मानि त इ भवन कखनो ढही सकैत अछि। बिहार मे धरोहरक प्रति उदासीनता नव गप नहि अछि। कईटा धरोहर नष्‍ट भ चुकल अछि आ कईटा नष्‍ट हेबाक कगार पर अछि। लंगट सिंह कॉलेज सेहो ओहि मे स एकटा कहल जा सकैत अछि।

स्‍मारक बनेबा लेल चलल चलल छल आंदोलन

एकरा दुर्भाग्‍य कहबाक चाहि बा रोचक तथ्‍य, मुदा लंगट सिंह कॉलेज सरकार लेल मात्र गांधी क यात्रा लेल महत्‍वपूर्ण स्‍थल छल। सरकार आ कॉलेज प्रशासन केवल गांधी स जुडल पर्यटन स्थल क रूप मे एकरा विकसित करबाक योजना तैयार क रहल छल। पर्यटन क दृष्टि स कॉलेज सुन्दर बनए रमणीय बनए ताहि लेल सरकार स टका मांगल जाइत छल। एहन मे एहि कॉलेजक इतिहास गाँधी तक जा ठहरि जाइत छल। कॉलेज क विकास, एकर गौरवशाली इतिहास क कोनो चर्च कतहु नहि होइत छल। मुदा लंगट सिंह कॉलेज क किछु उत्साही युवा जे दिल्‍ली आबि चुकल छलाह आ दिल्‍लीक कॉलेज परिसर कए देखि रोमांचित छलाह ओ ‘स्टुडेंट इनिसिएटिव फॉर हेरिटेज’ क बैनर तर प्रधानमंत्री स गप केलथि आ एहि कॉलेज क गरिमा आ इतिहास स हुनका अवगत करेलथि। एसएचआईसी क कोर्डिनेटर अभिषेक कुमार आ हुनकर दल प्रधानमंत्री स एहि कॉलेज लेल भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग स गप करबाक अनुरोध केलथि। प्रधानमंत्री तत्‍काल अनुरोध स्वीकार क भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण कए एहि बाबत एक पत्र लिखलथि जाहि मे एहि कॉलेज कए ऐतिहासिक दर्जा देबाक संभावना पर विचार करबा लेल कहलथि। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग एकरा धरोहर त घोषित क देलक, मुदा एकर संरक्षण क कोनो प्रयास एखन धरि शुरू नहि भ सकल अछि। आशंका इ जताउल जा रहल अछि जे अगर प्रयास जल्‍द शुरू नहि भेल त भवन ढहबाक स्थिति मे अछि आ परिसर फेर एकटा खंडहर क संरक्षणक योग्‍य भ जाएत।

मात्र गांधी तक एकर इतिहास समेटबाक छल साजिश

राजेंद्र बाबू स जुडल एहि कॉलेज कए गांधी तक सिमित रखबाक पाछु किछु लोक एकरा राजनीति साजिश करार दैत छथि। इ कॉलेज जहिया खोलल गेल तहियाक त गप छोडू एखनो एकटा कालेज खोलब कोनो आसान काज नहि अछि। अगर लंगट सिंह एहि लेल सामने नहि अबितथि त देश कईटा विभूति स वंचित रहि जइतै। 1975 धरि भारतीय प्रशासनिक सेवा मे एहि कालेजक सबस बेसी छात्र सफल होइत छलाह। लंगट सिंह कॉलेज तिरहुत क्षेत्र मे मात्र ज्ञान क ज्‍योति नहि जरेलक बल्कि सांस्कृतिक उत्थान आ सामाजिक परिवर्तन मे सेहो महत्वपूर्ण भूमिका निभेलक। मुदा के इ सोचने छल जे लंगट सिंह क नाम इतिहास क पन्‍ना मे स्वर्णाक्षर मे त छोडू सामान्‍य रोशनाई तक स नहि लिखल जाएत। कॉलेज क चर्च एलएस कॉलेज स हुए लागल आ इतिहास केवल गाँधी क चंपारण यात्रा क दौरान गाँधी-कूप तक सिमित भ गेल | गाँधी क ऐतिहासिक यात्रा क दौरान कॉलेज परिसर मे ठहरब, हुनकर स्वागत मे उमडल भीड आ छात्र द्वारा गाँधी क बग्घी अपन हाथ स खीचब कॉलेज क ऐतिहासिक महत्व भ गेल। ओतहि चंपारण यात्रा क सूत्रधार आचार्य जे.बी. कृपलानी, गाँधी कए कॉलेज हॉस्टल मे ठहरेबाक कारण बर्खास्त विद्वान आचार्य मलकानी कए लोक बिसरी गेल। राजेंद्र बाबू क कॉलेज क प्राध्यापक क रूप मे काज करब, प्राचार्य (Principal) बनब, कॉलेज क वर्तमान स्थल क चयन करबा मे हुनकर योगदान ककरो लेल चर्चा क विषय नहि रहल | इ मांग सेहो नहि उठाउल गेल जे रामधारी सिंह दिनकर स जुडल चीज एक संग्रहित कैल जाए, हुनकर नाम पर कॉलेज मे किछु स्‍थापित कैल जाए | कॉलेज क गरिमा बढेनिहार अनेक संस्मरण कए एकटा पुस्‍तकालय मे सजेबाक विचार तक ककरो नहि आयल। जखन कि लगभग पांच दशक तक बिहार नहि अपितु भारत क प्रतिष्ठाप्राप्त महाविद्यालय मे लंगट सिंह कॉलेज क नाम प्रमुखता स लेल जाइत छल। भारत क प्रथम राष्ट्रपति डा० राजेंद्र प्रसाद आ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जाहि कॉलेज स संबंध रखैत छथि ओहि कॉलेज क परिचय अगर कियो इ द रहल अछि जे एहि ठाम गांधी राति बितेने छथि त निश्चित रूप स इ एकटा साजिश कहल जाइत। 

‘भूमिहार ब्राहमण कॉलेज’ छल पहिने नाम

3 जुलाई 1899 कए वैशाली आ तिरहुत क संधि भूमि मे अवस्थित इ महाविद्यालय अपन प्रारंभिक दस वर्ष तक सरैयागंज क निजी भवन मे भूमिहार ब्राहमण कॉलेज क नाम स चलैत छल। जनवरी 1908 मे राजेंद्र प्रसाद कलकत्ता विश्वविद्यालय स उच्च श्रेणी मे एमए पास क जुलाई मे एहि कॉलेज क प्राध्यापक क रूप मे नियुक्त भेलाह। ओहि समय इ कॉलेज कलकत्ता विश्विद्यालय क अधीन छल। एहन मे समय समय पर निरीक्षण लेल कलकत्ता विश्यविद्यालय स अधिकारी अबैत छलाह। एहि क्रम मे कलकत्ता विश्विद्यालय क वनस्पतिशास्त्र क प्रो० डा० बहल जखन एहि कॉलेज एलाह त ओ इ देख सख्त नाराजगी व्‍यक्‍त केलथि जे कॉलेजक परिसर बहुत छोट अछि आ वर्ग दुकान क आसपास चलि रहल अछि। ओ तत्‍काल कॉलेज लेल पर्याप्‍त जमीन आ भवन क व्‍यवस्‍था करबाक लेल कहलथि। एकर बाद राजेंद्र बाबू अपन किछु सहयोगी शिक्षकक संग जमीन ताकब शुरू केलथि। आखिरकार खगड़ा गाम क जमींदार आ बाब लंगट सिंह क सहयोग स कॉलेज लेल प्रयाप्‍त जमीन भेटल। कॉलेज 1915 मे सरैयागंज स अपन वर्तमान जगह पर ‘ग्रीर भूमिहार ब्राहमण कॉलेज नाम स स्थान्तरित भ गेल। मुदा स्थानीय लोक क विरोध क बाद कॉलेज क नाम एकर संस्थापक बाबू लंगट सिंह क नाम पर ‘लंगट सिंह कॉलेज’ राखि देल गेल।

अपने नहि छलाह शिक्षित, समाज कए बनेलथि ग्रेजुएट

जानकी वल्लभ शास्त्री, रामबृक्ष बेनीपुरी, शहीद जुब्बा सहनी सन अनेक विभूति क नाम मुजफ्फरपुर क प्रतिष्ठा बढबैत अछि। मुदा सब स पैघ प्रेरणाक स्रोत छथि बाबू लंगट सिंह। बाबू लंगट सिंह क जन्म आश्विन मास,सन 1851 मे धरहरा, वैशाली निवासी अवध बिहारी सिंह क घर भेल। निर्धनता क अभिशाप आ जीवन क संघर्ष एहन जे लंगट सिंह साक्षर नहि भ सकलाह। लंगट सिंह महज 24 वर्ष मे जीविका क तलाश लेल घर स निकली गेलाह। पहिल काज भेटल रेल पटरी क कात बिछा रहल टेलीग्राम क खम्‍भा पर तार लगेबाक। इ काज मे हुनक लगन देखि आगू काज भेटैत गेल आ ओ रेलवे क मामूली मजदूर स जमादार बाब, जिला परिषद्, रेलवे आ कलकत्ता नगर निगम क प्रतिष्ठित ठेकेदार बनि गेलाह। हुनक कहानी कोनो आधुनिक फिल्‍म क पटकथा स कम नहि अछि। साधारण मजदूर स उदार जमींदार क रूप मे स्थापित लंगट सिंह आजुक युवा लेल प्ररेणा क स्रोत छथि। कलकत्ता क संभ्रांत समाज मे हुनका हीरो मानल जाइत छल। बंगाली समुदाय स ओ एतबा घुल-मिल गेल छलाह जे शुद्ध बंगाली लगैत छलाह। स्वामी दयानंद,रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, ईश्वरचंद विद्यासागर, सर आशुतोष मुखर्जी आदि क ओ समर्थक छलाह। मंद पडल विद्यानुराग क ओ पवित्र बीज कलकत्ता मे फूटल आ आइ एलएस. कॉलेज क रूप मे वटवृक्ष क भांति ढार अछि।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे सेहो देलथि दान

बाबू लंगट सिंह शिक्षा क विस्‍तार लेल सब किछु करबा लेल तैयार रहैत छलाह। पं. मदन मोहन मालवीय जी, महाराजाधिराज कामेश्‍वर सिंह, काशी नरेश प्रभुनारायण सिंह, परमेश्वर नारायण महंथ, द्वारकानाथ महंथ, यदुनंदन शाही और जुगेश्वर प्रसाद सिंह सन विद्याप्रेमी संग जुडि कए ओ शिक्षा क अखंड दीप मुजफ्फरपुर टा मे नहि बल्कि आन ठाम सेहो जरेबाक काज केलथि। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय लेल सेहो लंगट सिंह टका देलथि। कहल जाइत अछि जे काशी लेल जे टका ओ देलथि ओ एल.एस. कॉलेज क भवन निर्माण लेल रखने छलाहए। अद्भुत मेधा क युग-निर्माता, एक कृति पुरुष बाबू लंगट सिंह कए बिसरी तिरहुत की परा बिहार मे शिक्षाक इतिहास लिखब कठिन अछि।

आइ हुनक दिवंगत भेल 100 साल स बेसी भ गेल मुदा तखनो हुनकर काज हुनकर सोच आ हुनकर शिक्षा-प्रेम शुभ कर्म करबा लेल प्रेरणा दैत अछि। 15 अप्रैल, 1912 कए हुनकर निधन क संग तिरहुत मे जे शून्य पैदा भेल ओ आइ धरि नहि भरल जा सकल अछि। तिरहुत खास क मुजफ्फरपुर क इतिहास बिना लंगट सिंह क चर्च केने पूरा नहि भ सकैत अछि।

कहियो छल सबस सुंदर आई भ गेल खंडहर

लंगट सिंह कॉलेज क विशाल गैस प्लांट आइ कॉलेज क गौरव गाथा क मूक गवाह अछि। एक जमाना छल जखन इ विज्ञान संकाय स ल कए पीजी रसायन विभाग तक क सबटा प्रयोगशाला मे निर्बाध गैस आपूर्ति करैत छल। आब केवल अपन निशान बरकरार रखबाक जद्दोजहद मे अछि। विशाल यंत्र क कईटा चीज चोरी भ चुकल अछि। प्रशासनिक उदासीनता क कारण यंत्र क जीर्णोद्धार क चिंता किया ककरो मे देखल जाएत। विद्वान शिक्षक सब चुटकी लैत कहैत छथि जे यंत्र क स्‍वरूप देखब आब एकटा ज्ञान क चीज अछि, एहन यंत्र कोनो महाविद्यालय लग नहि अछि। इ त आब अपने आप मे दर्शनीय आ अध्ययन योग्‍य अछि। दू दशक पूर्व इ यंत्र ठीक छल। 1952 मे एक एकड़ मे एहि गैस प्लांट क स्थापना कैल गेल छल। एकर देखरेख क जिम्मा पीएचईडी पर छल। विभाग क तीनटा कर्मी एकर संचालन लेल तैनात रहैत ठलाह। हुनका लेल परिसर मे आवास क व्यवस्था सेहो कैल गेल छल। मुदा धीरे-धीरे व्यवस्था चरमरा गेल। देश क महज तीनटा कॉलेज मे स एकटा कॉलेज लंगट सिंह कॉलेज छल जाहि ठाम लैब क संचालन लेल अपन व्यवस्था स गैस क निर्माण कैल जाइत छल। एहि ठाम केरोसीन तेल क क्रैकिंग क गैस क फॉरमेशन कैल जाइत छल। तत्कालीन प्राचार्य डा.सुखनंदन प्रसाद अंतिम बेर एकर जीर्णोद्धार क पहल केने छलाह। अगर ठीक स एकरा संरक्षित कैल जाए त इ भावी पीढ़ी लेल अध्ययन मे काफी सहायक भ सकैत अछि। ओहुना कॉलेज लेल इ अमूल्‍य धरोहर छी। मुदा सवाल उठैत अछि आखिर कहिया हम धरोहरक प्रति गंभीर बनब आ अपन धरोहरक संरक्षण करबा लेल सक्रिय होएब।

Web Link- http://www.esamaad.com/regular/2012/10/10839/