कुछ भी मुश्किल नहीं, यदि करने की ठान लीजिये......यही हुआ एल.एस. कॉलेज को राष्ट्रिय धरोहर बनाने के मुहीम की शुरुआत में | कॉलेज को सिर्फ पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बातें होती थी, पर्यटन के दृष्टि से कॉलेज सुन्दर बने, रमणीय लगे, कुछ देखने लायक चीज़े हो, इसके लिए पैसे सरकार से मांगे जाते रहे | लेकिन दुखद तथ्य यह था कि पर्यटन स्थल के रूप में कॉलेज जाना जाये, इसमें सिर्फ गाँधी जी तक ही बात जाकर समाप्त हो जाती थी | कॉलेज का समग्रता से विकास हो, इसके इतिहास के गौरवशाली क्षण कि अनुभूति लोग करे, इस हेतु राष्ट्रिय धरोहर की मांग करना कॉलेज की चर्चाओं में एक ऐतिहासिक मोड़ था| जब हमने राष्ट्रिय धरोहर की बात बुलंदी से, तर्कपूर्ण ढंग से रखी तो सभी के चिंतन-मनन का यह विषय बना की क्या वास्तव में कॉलेज राष्ट्रिय धरोहर बनने का पात्र है?
इससे पहले कॉलेज के बारे अधिक लोग जाने, कॉलेज के इतिहास की चर्चाये हो तो बात सिर्फ गाँधी जी के चंपारण यात्रा की याद से जुड़ी गाँधी-कूप तक ही सिमित हो जाती थी | गाँधी जी का ऐतिहासिक यात्रा के सन्दर्भ में कॉलेज में ठहरना, उनके स्वागत में उमड़ी छात्रों की हुजूम, छात्रों का गाँधी जी की बग्घी अपने कन्धों पर खीचकर लाने का विर्तांत तक ही कॉलेज के ऐतिहासिक महत्व की सारी बातें सिमट जाती थी | लेकिन उस चंपारण यात्रा के सूत्रधार आचार्य जे. बी. कृपलानी, गाँधी जी को कॉलेज हॉस्टल में ठहराने के कारण बर्खास्त विद्वान आचार्य मलकानी को याद करना जरुरत नहीं समझा जाता था | राजेंद्र बाबु का कॉलेज के प्राध्यापक के रूप में आना, प्राचार्य(Principal) बनना, कॉलेज के वर्तमान स्थल का चयन करने की चर्चा कही देखने को नहीं मिलती थी | यह मांग भी नहीं उठाई जाती थी कि रामधारी सिंह दिनकर से जुड़ी यादों को भी सहेजा जाये, उसके बारे में बताया जाये| कॉलेज कि गरिमा बढ़ाने वाले अनेक संस्मरणों को याद करके उसे एक पुस्तकालय या संग्रहालय का रूप दिया जाये, इसके बारे में कोई प्रयास नहीं हुआ |
आप देख सकते है कॉलेज प्रशासन ने सिर्फ गाँधी जी का जिक्र किया और महाविद्यालय के जुड़े अन्य महापुरुषों को छोड़ दिया गया |
इससे पहले कॉलेज के बारे अधिक लोग जाने, कॉलेज के इतिहास की चर्चाये हो तो बात सिर्फ गाँधी जी के चंपारण यात्रा की याद से जुड़ी गाँधी-कूप तक ही सिमित हो जाती थी | गाँधी जी का ऐतिहासिक यात्रा के सन्दर्भ में कॉलेज में ठहरना, उनके स्वागत में उमड़ी छात्रों की हुजूम, छात्रों का गाँधी जी की बग्घी अपने कन्धों पर खीचकर लाने का विर्तांत तक ही कॉलेज के ऐतिहासिक महत्व की सारी बातें सिमट जाती थी | लेकिन उस चंपारण यात्रा के सूत्रधार आचार्य जे. बी. कृपलानी, गाँधी जी को कॉलेज हॉस्टल में ठहराने के कारण बर्खास्त विद्वान आचार्य मलकानी को याद करना जरुरत नहीं समझा जाता था | राजेंद्र बाबु का कॉलेज के प्राध्यापक के रूप में आना, प्राचार्य(Principal) बनना, कॉलेज के वर्तमान स्थल का चयन करने की चर्चा कही देखने को नहीं मिलती थी | यह मांग भी नहीं उठाई जाती थी कि रामधारी सिंह दिनकर से जुड़ी यादों को भी सहेजा जाये, उसके बारे में बताया जाये| कॉलेज कि गरिमा बढ़ाने वाले अनेक संस्मरणों को याद करके उसे एक पुस्तकालय या संग्रहालय का रूप दिया जाये, इसके बारे में कोई प्रयास नहीं हुआ |
आप देख सकते है कॉलेज प्रशासन ने सिर्फ गाँधी जी का जिक्र किया और महाविद्यालय के जुड़े अन्य महापुरुषों को छोड़ दिया गया |
पर्यटन स्थल बनाने को लेकर कॉलेज प्रशासन द्वारा लिखे गये पत्र |
इस पत्र को लिखने के परिणामस्वरूप कॉलेज को 65 लाख रुपये मिले ।
इस सम्बन्ध में "द टेलेग्राफ" अख़बार में छपी खबर देखा जा सकता है
Gallery to remember Gandhi’s historic visit
The Mahatma Gandhi statue at Langat Singh College in Muzaffarpur. Picture by Prakash Kumar |
Muzaffarpur, Jan. 20: For those who are taken in with Gandhigiri, here is some good news. The state government is all set to establish a new gallery on the Father of the Nation in Langat Singh College, a constituent unit of Bhim Rao Ambedkar Bihar University.
The government has sanctioned Rs 65 lakh for the gallery, named Mahatma Gandhi Memorial Gallery. Tourism department officials inspected the spots of historical importance related to Gandhi in the district recently.
On April 10, 1917, Gandhi had visited Muzaffarpur en route to East Champaran, for the satyagraha there. He also took a bath near a well on the college campus. The well has been named Mahatma Gandhi Kup, and is renovated from time to time.
The historic well will now be fenced and made a part of the historic display, said Suniti Pandey, the principal of the college. A statue of Gandhi was also installed in front of the principal’s office recently. Bhim Rao Ambedkar Bihar University gave the college Rs 1 lakh for the renovation of the statue. Rajendra Prasad installed a bust of Gandhi on the same spot in 1959. Later, in 1971, Jai Prakash Narayan had unveiled a statue of Gandhi on the spot.
The tourism department team also visited Gorakhpur High School on Tilak Maidan Road, where Gandhi had spent a week in 1934 to supervise the relief and rescue operations in the aftermath of a devastating earthquake. The team also visited the houses of J.P. Kripalani and Raj Kumar Shukla, where Gandhi had spent time, in the course of his long political career.
Tourism minister Sunil Kumar, who visited some of the spots today, said: “The government will prepare a roadmap of tourism of the places of historic and religious importance in the state, particularly in north. Tour buses would be started and hotels and restaurants would be constructed along the national highways for the tourists.” (खबर की लिंक -http://www.telegraphindia.com/1110121/jsp/bihar/story_13469488.jsp)
आप मीडिया शीर्षक के अंतर्गत डाले पोस्ट में देख सकते है की ३ जुलाई, २०११ को मुजफ्फरपुर से छपने वाले सभी अखबारों ने राष्ट्रिय धरोहर बनाने की मांग की खबरे छापी।
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