यह सुनने, पढने में बुरा लग सकता है लेकिन यही कॉलेज के इतिहास के गौरव थे। हमें इसे पुनः दुबारा वापस दिलाने है
दो दशक पूर्व था कारगर, आज इतिहास
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता : कभी लंगट सिंह कॉलेज के विज्ञान संकाय से लेकर पीजी रसायन विभाग तक की प्रयोगशालाओं में निर्बाध गैस आपूर्ति करने वाला विशाल गैस प्लांट अब सिर्फ अपनी यादें बरकरार रखने की जद्दोजहद में है। यह प्लांट आज भी कॉलेज की गौरव गाथा का मूक गवाह है। देखभाल के अभाव में विशाल यंत्र के कई पार्ट्स तक की चोरी हो चुकी है। लेकिन, प्रशासनिक उदासीनता के कारण बंद हो चुके इस यंत्र के जीर्णोद्धार की चिंता न तो कॉलेज को है और न ही बिहार विश्वविद्यालय प्रशासन को। रसायनशास्त्र के विद्वान शिक्षकों की मानें तो इसके संरक्षित करने पर यह कॉलेज की भावी पीढ़ी व रसायनशास्त्र के छात्रों के लिए दर्शनीय होने के साथ-साथ अध्ययन में भी सहायक हो सकता है। दो दशक पूर्व तक लंगट सिंह कॉलेज को लैब व शोध कार्य के लिए गैस की बाहरी व्यवस्था पर निर्भर नहीं होना पड़ता था। रसायन, जंतुविज्ञान, भौतिकी या फिर बॉटनी विभाग हो या फिर पीजी रसायन विभाग। इन विभागों को कॉलेज में ही फॉर्मेट की गई गैस पाइप के जरिए आपूर्ति की जाती थी। बताया जाता है कि इसके लिए कॉलेज के पिछले हिस्से में 1952 में एक एकड़ में गैस प्लांट की स्थापना की गई थी। उस वक्त इसकी देखरेख का जिम्मा पीएचईडी पर था। विभाग के तीन कर्मी इसके संचालन के लिए हमेशा तैनात रहते थे। उनके लिए परिसर में आवास की व्यवस्था भी की गई। मगर, इन कर्मियों के सेवानिवृत्त होने के बाद विभाग ने हाथ खींच लिया। नतीजतन, धीरे-धीरे इसकी व्यवस्था चरमराने लगी। रसायन विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डा. नित्यानंद शर्मा बताते हैं कि देश के गिने-चुने विवि में लंगट सिंह कॉलेज था, जहां लैब के संचालन के लिए अपनी व्यवस्था से गैस का निर्माण किया जाता था। इसके निर्माण की विधि भी बेहतरीन है,जिसमें केरोसीन तेल की क्रैकिंग कर गैस का फॉरमेशन किया जाता था। उनकी मानें तो तत्कालीन प्राचार्य डा.सुखनंदन प्रसाद के समय अंतिम बार इसके जीर्णोद्धार की पहल हुई। प्राचार्य के पत्र पर विवि ने सरकार को इसके कायाकल्प का प्रस्ताव भेजा। लेकिन,इस दिशा में आगे की कार्रवाई न होने पर प्लांट जीर्ण-शीर्ण होते चला गया। चोरी के बाद भी लाखों रुपये के कारगर यंत्र व मशीन आज भी कमरे में सुरक्षित हैं। इसे अच्छे ढंग से संरक्षित किया जाए तो यह भावी पीढ़ी के छात्र-छात्राओं के लिए अध्ययन में काफी सहायक होने के साथ ही कॉलेज के लिए बड़ी धरोहर के रूप में रहेगा।
"गैस प्लांट से रसायनशास्त्र विभाग को फायदा होता था। लेकिन जब से इसका काम बंद हो गया तब से बाहर से गैस खरीद कर काम चलाया जा रहा है। विवि या सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं होने के कारण पुनर्जीवित करने का प्रयास कारगर नहीं हो पाया है।"
---- डा. सुनीति पांडेय प्राचार्या, एलएस कॉलेज
"इस गैस प्लांट के बारे में मुझे पूरी तरह जानकारी नहीं है। जल्द ही इसके बारे में जानकारी लेकर उचित पहल की जाएगी।"
-----डा. राजेंद्र मिश्र कुलपति, बीआरए बीयू
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