अस्तित्व बचाने की अपील करती उजड़ते, बिखड़ते और ढहने के कगार पर L.S.कॉलेज की बिल्डिंग....विद्यार्थियों से हरा भरा दिखने वाला कैम्पस आजकल झाड़ियों से ही गुलजार है ...पेड़ ही पेड़ दीखते है समूचे परिसर में....गौर से देखने पर लगता है कि ये पेड़ किसी गैरसरकारी संगठनों द्वारा हरियाली योजना के तहत लगायी गयी है...पेड़ों ने बिल्डिंग को बिल्कुल कमजोर बना दिया है...शायद हलके भूकंप को भी सहने न पाए ...बड़ा सवाल है , लंगट बाबु के स्वप्न और कॉलेज का गौरवशाली अतीत क्या यू ही मिल जाएगी मिट्टी में?
कॉलेज के इसी चारदीवारी के अंदर सिमटी है गाँधी की यादे |
ख़ामोशी से अपनी बर्बादी के तमाशे देखता कॉलेज का बिल्डिंग |
मवेशियों के चारागाह में बदला कॉलेज का मैदान |
चौकिएगा मत ! यह हॉस्टल के अन्दर का दृश्य है, जहाँ जंगल ही जंगल दिखाई पड़ते है |
अपनी विरासत की दुर्दशा से बेचैन , लेकिन पूरी मजबूती के साथ खड़ा हॉस्टल परिसर का झरना |
यह जंगल नहीं है, न ही प्राचीन खंडहर बल्कि कॉलेज के बीचोबीच के परिसर का दृश्य |
कॉलेज का बगीचा है ..जिसे कई बार गार्डन बनाने की कोशिश तो हुई लेकिन परिणाम आप देख सकते है |
कभी Duke हॉस्टल का यह मेस हुआ करता था, आजकल बैठकी की जगह है |
हॉस्टल के एक कोने में स्थित यह कमरा, आज भी हमेशा रुलाता, हँसाता रहता है , जीवन के बेहतरीन लम्हों में से एक यहाँ बीते है, जो आज भी अपनी यादों से गुदगुदाता, रुलाता रहता है |
प्रथम वर्ष का कमरा |
दुर्दशा देखिये हॉस्टल को आवंटित खेल मैदान का ....यहाँ सिर्फ सरस्वती पूजा के समय सफाई होती है। |
कॉलेज का डॉ. वागेश्वरी प्रसाद स्मृति उद्यान .... |
फोटो सौजन्य(Photo Courtesy)- अभिषेक रंजन
स्नेहम |
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