सेवा में ,
प्रधानमंत्री महोदय ,
प्रधानमंत्री महोदय ,
भारत सरकार
विषय :- लंगट सिंह महाविद्यालय को राष्ट्रिय धरोहर के रूप में मान्यता देने के सम्बन्ध में.
महोदय,
दुनिया भर में अपने स्वाद की धाक जमा चूकी शाही लीची तथा अपनी सर्वधर्म संस्कृति के लिए प्रसिद्द शहर मुजफ्फरपुर आधुनिक शिक्षा - केंद्र के रूप में आज़ादी के समय से ही जाना जाता है . स्वतंत्रता आन्दोलन के समय आज़ादी के दीवाने लोगों तथा प्रसिद्द समाजसेवी लंगट सिंह के प्रयाश से 3 जुलाई ,1899 को पुरे विश्व में अपनी छाप छोड़ने वाले लंगट सिंह कॉलेज(एल . एस .कॉलेज) की स्थापना हुई.महोदय, इस महाविद्यालय के स्थापना के प्रारंभिक काल में डॉ. राजेंद्र प्रसाद,प्रथम राष्ट्रपति बतौर शिक्षक व प्रधानाध्यापक रहे वही आचार्य जे.बी.कृपलानी,अध्यक्ष कांग्रेस(1947 ) भी अध्यापन कार्य कर युवाओ को आज़ादी के लिए प्रेरित करते थे. महात्मा गाँधी का भी चंपारण यात्रा के क्रम में 10 अप्रैल 1917 को कॉलेज परिसर में आना हुआ था और इसी महविद्यालय परिसर में ११-१२ अप्रैल को पुरे चंपारण आन्दोलन की रुपरेखा तैयार की गयी थी .उस समय जे.बी.कृपलानी और प्रख्यात शिक्षाविद एच .आर . मलकानी, तत्कालीन छात्रावास अधीक्षक ने उनके विश्राम और आतिथ्य की व्यवस्था की थी . बापू ने परिसर स्थित कुँए पर प्रातःकालीन स्नान-ध्यान कर किसानों की दुर्दशा सुधारने का संकल्प भी लिया था, जिसकी याद के रूप में गाँधी- कूप कॉलेज परिसर में मौजूद है . राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर भी महाविद्यालय के इतिहास विभाग में शिक्षक थे तथा अपनी “उर्वर्शी” ,जिसपर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था ,की रचना यही की थी. १९५२ में राज्यसभा के सांसद बनने तक वे यही शिक्षक थे .
महोदय , बेलियोल (Balliol) कॉलेज, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तर्ज़ पर बने महाविद्यालय भवन का उद्घाटन 26 जुलाई 1922 को तत्कालीन गवर्नर सर हेनरी व्हीलर ने किया था ,जो मुजफ्फरपुर का लाल-किला के रूप में भी प्रसिद्द है और वास्तुकला और भवन निर्माण की अनूठी मिसाल भी पेश करती है .महाविद्यालय परिसर में स्थापित तारामंडल देश का पहला तारामंडल माना जाता है जहाँ अन्तरिक्ष से सम्बंधित अनुसन्धान होते थे,फ़िलहाल यह बंद पड़ा है. महाविद्यालय आज़ादी मिलने से पहले देश के लिए मरने वालों की फौज तथा आज़ादी मिलने के बाद देश हित में जीने वाले छात्रों को तैयार करने में निरंतर लगा है .
महोदय से प्रार्थना है कि, महाविद्यालय के ऐतिहासिक महत्व और देश के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करवा चुकें महापुरुषों की यादों व उनकी शिक्षाओं को बढ़ावा देने हेतु और उनसे जुड़ी स्थल , महाविद्यालय को राष्ट्रिय धरोहर का दर्ज़ा दिलाकर महाविद्यालय परिवार(शिक्षक ,छात्र,कर्मचारी) और मुजफ्फरपुर के आमजनता की भावनाओं का सम्मान करें.
आपके सकारात्मक निर्णय कि प्रतीक्षा में
(संयोजक-Student Initiative for Heritage College)
LL.B. प्रथम वर्ष,दिल्ली विश्वविद्यालय,दिल्ली
अभिषेक रंजन
Hum aaj bhi intzar me hai jabab ke.....sanskriti mantralay ne chithi behji hai lekin jabab thik se nahi mila....
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